Sunday, June 09, 2019

778. संविधान पर है नहीं (कुंडलिया)

778. संविधान पर है नहीं (कुंडलिया)

संविधान पर है नहीं, जिन्हें तनिक विश्वास।
उनसे  जन-कल्याण की, कैसे रक्खें आस।
कैसे  रक्खें आस, तिरंगा  जिन्हें  न  भाता।
फटफटियों  पर बैठ, झुंड आतंक  मचाता।
सिर्फ झूठ पाखंड, रहे जिनकी  जुबान पर।
वे ही गाल बजाँय, आजकल संविधान पर।

रणवीर सिंह 'अनुपम'
09.06.2019
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