778. संविधान पर है नहीं (कुंडलिया)
संविधान पर है नहीं, जिन्हें तनिक विश्वास।
उनसे जन-कल्याण की, कैसे रक्खें आस।
कैसे रक्खें आस, तिरंगा जिन्हें न भाता।
फटफटियों पर बैठ, झुंड आतंक मचाता।
सिर्फ झूठ पाखंड, रहे जिनकी जुबान पर।
वे ही गाल बजाँय, आजकल संविधान पर।
रणवीर सिंह 'अनुपम'
09.06.2019
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