Sunday, February 24, 2019

711. युद्ध कथाएं वन भ्रमण (कुंडलिया)

711. युद्ध कथाएं वन भ्रमण (कुंडलिया)

पुलवामा आतंकी घटना के बाद, कुछ हुआ हो या न हुआ हो पर इतना जरूर हुआ कि सुप्त और सुस्त ओज के कवियों को एक नया मसाला मिल गया। आजकल जिधर देखिए उधर मारकाट की, युद्ध की, उन्माद की बातें हो रहीं हैं।

दो देशों का युद्ध कोई गली-मोहल्ले की लड़ाई नहीं है। युद्ध कितना भयंकर, निर्दयी और क्रूर होता है, यह मैदान में लड़ने वाले जानते हैं। युद्ध की कीमत आगे आनी वाली कई पीढ़ियों को चुकानी पड़ती है। जरा-जरा सी बात पर युद्ध-युद्ध चिल्लाना वीरता नहीं, अपितु अज्ञानता का द्योतक है। युद्ध, पर्वत, जंगल, समुद्र ये सब किस्से कहानियों में ही सुंदर लगते हैं, वास्तव में ये बड़े भयानक, पीड़ादायक और क्रूर होते हैं।

711. युद्ध कथाएं वन भ्रमण (कुंडलिया)

युद्ध  कथाएं  हैं  भलीं, भले  न   होते  युद्ध।
कभी  न  भाएं  पास  से, पर्वत,  रेत, समुद्र।
पर्वत,  रेत, समुद्र, देख  हिरदय  हिल जाते।
भय दुख दर्द विपत्ति, सामने इक सँग आते।
शांति अहिंसा क्षमा, सत्य का  बोध  कराएं।
बस सुनने  में  भली,  लगें  ये  युद्ध  कथाएं।

रणवीर सिंह 'अनुपम'
24.02.2019
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711. युद्ध कथाएं वन भ्रमण (कुंडलिया)

युद्ध  कथाएं, वन भ्रमण, पर्वत  और समुद्र।
लगें  मनोरम  दूर  से, मगर  निकट  से  रुद्र।
मगर निकट से रुद्र, देख अन्तर  हिल जाते।
भय दुख दर्द विपत्ति, सामने इक सँग आते।
शांति अहिंसा क्षमा, सत्य का  बोध  कराएं।
बस सुनने  में  भली,  लगें  ये  युद्ध  कथाएं।

रणवीर सिंह 'अनुपम'
24.02.2019
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