Saturday, February 23, 2019

709. भूखा, रहता कब तलक (कुंडलिया)

709. भूखा रहता कब तलक (कुंडलिया)

भूखा, रहता   कब  तलक, खाली  उदर  समेट।
आखिर इक दिन हारकर, कफ्फन लिया लपेट।
कफ्फन  लिया   लपेट, सहन  की  भी है सीमा।
मृत्यु  बाद  क्या लाभ, मिले   लाखों  का बीमा।
दूध - दही  ना   सही,  मगर   हो  रूखा - सूखा।
'अनुपम'  कोई  उदर,  रहेगा   कब  तक  भूखा।

रणवीर सिंह 'अनुपम'
23.02.2019
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