Sunday, June 05, 2016

246. जो वस्त्र बनूँ, तो हो किस्मत

जो वस्त्र बनूँ, तो हो किस्मत,
सीने से उनके लगा रहूँ,
जो धातु बनूँ बंदूकों सँग,
कंधों पर उनके टँगा रहूँ॥

जो चाम बनूँ तो हे हरि मैं,
जूतों में उनके सजा रहूँ,
जो बनूँ अगर ककड़ पत्थर,
उस पगडंडी पर पड़ा रहूँ॥
 
जिस पर मतवाले वीरों की,
टोलियाँ गुजर कर जातीं हों,
या फिर बेखौप शहीदों की,
डोलियाँ गुजर कर जातीं हों॥
रणवीर सिंह (अनुपम)              
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