कवित्त
भोग की ये दासता विलासता को छोड़कर,
जिंदगी में सादगी की, शान होनी चाहिए।
बड़े-बड़े ख्वाब और, बड़ी नीतियाँ ही नहीं,
कर्म संग सोच भी महान होनी चाहिए।
भिन्न-भिन्न भाषा-प्रांत, भिन्न खानपान किन्तु,
एक राष्ट्रगान एक, तान होनी चाहिए।
एक हिंद देश और, एक संविधान अब,
एकता हमारी पहचान होनी चाहिए।।
रणवीर सिंह 'अनुपम'
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