नेताओं का देख तमाशा, अह भारत!
चहुँदिश छाई घोर निराशा, अह भारत!
सुरा सुंदरी वंशवाद में ये डूबे।
इनसे क्या करनी है आशा, अह भारत!
गुंडे चुन-चुन आज आ रहे, अह भारत!
गधा पचीसी रोज गा रहे, अह भारत!
जंगल, नदियाँ, खेत,खदानों को खाया।
ताबूतों को बेच खा रहे, अह भारत!
रणवीर सिंह 'अनुपम'
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