Sunday, June 19, 2016

256. नेताओं  का  देख  तमाशा (मुक्तक)

नेताओं  का   देख  तमाशा, अह भारत!
चहुँदिश छाई घोर निराशा,  अह भारत!
सुरा    सुंदरी    वंशवाद   में    ये   डूबे।
इनसे क्या करनी है आशा,  अह भारत!

गुंडे चुन-चुन आज आ रहे, अह  भारत!
गधा  पचीसी  रोज  गा रहे, अह भारत!
जंगल, नदियाँ, खेत,खदानों को खाया।
ताबूतों   को   बेच  खा रहे, अह भारत!

रणवीर सिंह 'अनुपम'
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