Wednesday, October 25, 2017

433. मृतपशु भी जो स्पर्श किया (मुक्तक)

433. मृतपशु भी जो स्पर्श किया (मुक्तक)

मृतपशु भी जो स्पर्श किया, हम तुम्हरी खाल उतारेंगे।
नंगाकर   पीटेंगे    तुमको,   घूसे  -  डंडों   से   मारेंगे।
कपड़े,  पहनावों,  नामों  से,  हर  एक  विधर्मी  छाँटेंगे।
कुर्सी  खातिर  हम  भारत  को, धर्मों-जातों  में बाँटेंगे।

रणवीर सिंह 'अनुपम'
25.10.2017
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