433. मृतपशु भी जो स्पर्श किया (मुक्तक)
मृतपशु भी जो स्पर्श किया, हम तुम्हरी खाल उतारेंगे।
नंगाकर पीटेंगे तुमको, घूसे - डंडों से मारेंगे।
कपड़े, पहनावों, नामों से, हर एक विधर्मी छाँटेंगे।
कुर्सी खातिर हम भारत को, धर्मों-जातों में बाँटेंगे।
रणवीर सिंह 'अनुपम'
25.10.2017
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