428. जा प्रेम की राह बड़ी सूधी (मुक्तक)
जा प्रेम की राह बड़ी सूधी, जामें चतुराई नाहिं चले।
हाँ करिके पग पीछे न धरें, जाने को जाए जान भले।
तुम कौन सा प्रेम को पाठ पढ़ो, सौ लेत हौ, देत में एक खले।
हाँ करवावौ, खुद नाहिं करौ, यही देख जिया दिन-रात जले।
रणवीर सिंह 'अनुपम'
08.10.2017
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जा-यह; सूधी-सीधी; जामें- इसमें;
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