Thursday, October 19, 2017

430. बातें देखीं भाषण देखे (मुक्तक)

430. बातें देखीं भाषण देखे (मुक्तक)

बातें   देखीं,  भाषण  देखे,  देखा  है'  तुम्हारे  शब्दों  को।
प्रतिदिन  नंगा  होते   देखा,  निर्दोष   विचारे  शब्दों  को।
शब्दों की अपनी इज्जत है,  शब्दों की अपनी गरिमा  है।
हे  झूठेश्वर,  हे  जुमलेश्वर, अब  रखो  किनारे  शब्दों  को।

रणवीर सिंह 'अनुपम'
19.10.2017
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