Sunday, August 07, 2016

269. वो मर गए तो क्या हुआ

हम मर गए तो क्या हुआ, वो बच गए तो क्या हुआ।
मुझसे बदतर हाल यारो, है यहाँ सब का हुआ॥

डर के' आगे सच को' कहने, की बची हिम्मत कहाँ,
आदमी अब तो यहाँ पर, इस कदर सहमा हुआ॥

राहजन से ये पुलिस, काहे बचाएगी हमें,
हर कदम पर खुद इसी का, जाल है फेंका हुआ॥

बेगुनाही अब यहाँ पर, किस तरह साबित करूँ,
आज जब मुंसिफ ने खुद को, है यहाँ बेचा हुआ॥

अब अदालत पर भरोसा, बात बेमानी लगे,
फैसला देखा है' हमने, पहले' से होता हुआ॥

जो नशाबंदी का मसला, ले गया हर मंच पर,
आदमी वो खुद नशे में, आज है डूबा हुआ॥

चाहिए होना था जिसको, बंद कारागार में,
शक्स वो संसद भवन में, है मिला बैठा हुआ॥

बाद मरने के यहाँ, कहते हैं उसको जीनियस,
जिसको देखा जिंदगी भर, फ़ेल ही होता हुआ॥

करके तिकड़बाजियाँ जो, जिंदगी जीता रहा,
लोग कहते महात्मा है, वो बहुत पहुँचा हुआ॥

जिसके हाथों अब तलक, हर रोज ही लुटता रहा,
फिर न जाने इश्क क्यों, 'अनुपम' उसी से है हुआ॥
रणवीर सिंह (अनुपम)
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