श्रृंगार छंद
मिला तुम सबका इतना प्यार।
सभी का है मुझ पर अधिकार।
साधना करिये रचिये छंद।
पीजिये कविता का मकरंद।
बहन सरिता, ममता का साथ।
शीश पर अनुभा जी का हाथ।
समर्पित यहाँ प्रिय अवधेश।
वहाँ "अनुपम" को कौन क्लेश।
रणवीर सिंह 'अनुपम'
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