विधाता छंद
विधाताजी विधाताजी, विधाताजी विधाताजी
1222 1222, 1222 1222
जलाकर प्रेम का दीपक, बुझाओ मत इसे ऐसे।
बसाकर गैर को दिल में, सताओ मत मुझे ऐसे।
भुलाओगे अगर ऐसे, हँसी होगी ज़माने में।
बनी जल्दी बिगड़ जाती, लगें सदियाँ बनाने में।
रणवीर सिंह 'अनुपम'
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