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Saturday, July 09, 2016
261. दिवाना मैं हुआ जब से (विधाता छंद)
दिवाना मैं हुआ जब से, मुझे दुनियाँ न भाती है।
हमारे साँस की सरगम, तुम्हारे गीत गाती है।
कहाँ हो तुम प्रिये मेरी, मिलो इक बार तो आकर।
तुम्हारे बिन कलम मेरी, मुझी सी रूठ जाती है।
रणवीर सिंह (अनुपम)
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