Sunday, August 14, 2016

271. मेंहदी काजल से कहे (कुण्डलिया)

कुण्डलिया छंद

मेंहदी  काजल   से   कहे,  काहे    होत  अधीर।
तेरी   मेरी    एक   गति,    एक    हमारी    पीर।
एक   हमारी   पीर,   सजन    आ    इसे   हरेंगे।
लखकर,  छूकर,  चूम,   दर्द   सब   दूर   करेंगे।
यह सुन  माहवर  कहे,  हो  रही   काहे  पागल।
मन  मत  करो  मलीन,  अरे ओ मेंहदी काजल।

रणवीर सिंह (अनुपम)
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