कुण्डलिया
धरती पानी के बिना, सूख हुई बेहाल।
त्राहि त्राहि सब कर रहे, चहुँदिश पड़ा अकाल।
चहुँदिश पड़ा अकाल, अरे आ वर्षा रानी।
प्यासे जो मर रहे, इन्हें दे तू जिंदगानी।
देख तुझे हुंकार जिंदगी फिर से भरती।
पा तेरा सानिध्य, लहलहा उठती धरती।
रणवीर सिंह 'अनुपम'
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