Saturday, January 30, 2016

196. करूँ किस पर भरोसा और

मापनी-1222  1222   1222  1222

करूँ किस पर भरोसा और किसके पास जाऊँ मैं।
हमारे दिल में' क्या-क्या है, किसे जाकर दिखाऊँ मैं।।

यही लगता कि चाहत में, कमी कुछ रह गयी मेरी,
जिसे वो ही न सुन पाये, जहां को क्या सुनाऊँ मैं।।

जिगर का दर्द क्या होता, जिगर वाला समझ पाये,
दिलों पर जो गुजरती है, उसे कैसे बताऊँ मैं।।

जिन्हें अपना बनाया है, जिन्हें दिल में बसाया है,
बताओ किस तरह उनको, नजर से अब गिराऊँ मैं।।

हमारे घर जो' जलवाते, हमें दंगों में' मरवाते,
उन्हें इंसानियत कैसे, बताओ अब सिखाऊँ मैं।।

जिधर भी देखिये हर ओर खाने में लगी दुनियाँ,
सभी कुछ खा लिया जिनने, उन्हें क्या अब खिलाऊँ मैं।।

उन्हें लीडर, उन्हें प्रतिनिधि, उन्हें मंत्री बना डाला,
बनाकर भाग्य निर्माता, उन्हें अब क्या बनाऊँ मैं।।

वतन के रहनुमा ही जब, वतन को बेंचते फिरते,
कहाँ से हिंद की धरती, पे' हिंदुस्तान लाऊँ मैं।।

रणवीर सिंह (अनुपम)
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