मापनी-1222 1222 1222 1222
जनम से शूरमाँ हैं हम, किसी से कब कहाँ डरते।
अगर हो मौत भी सम्मुख, फिकर उसकी कहाँ करते।
हमें तो मारते हैं कुछ, हमारे राजनेता ही।
मिसाइल, तोप, बंदूकों, के' मारे हम कहाँ मरते।।
उधर सरहद पे हर गोली, को' हम सीने पे' खा जाते।
वरण कर मौत को, पत्नी, को' विधवा हम बना जाते।
इधर कुछ राजनेता हैं, जो' आतंकी बचाने को।
सभी मिल, रात में आकर, अदालत को हैं' खुलवाते।।
रणवीर सिंह (अनुपम)
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