Thursday, January 21, 2016

194. सिंहनी हो आचरण फिर (मुक्तक)

मापनी - 2122  2122  2122  212

सिंहनी हो आचरण  फिर, सिंहनी  जैसा करो।
हंसनी होकर  के’ कागों, संग मत  घूमा  करो।
आप अपनी आबरू का, मान करना सीखिये।
झाड़ियों में  इस तरह से, मत उठा-बैठा  करो।

रणवीर सिंह (अनुपम)
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