Wednesday, May 01, 2019

764. मजदूर दिवस पर कुछ दोहे।

764. मजदूर दिवस पर कुछ दोहे।

भूख प्यास बीमारियाँ, झेले नित व्यवधान।
आज उसी मजदूर पर, देंगें सब व्याख्यान।

मजदूरी  आधी  भई, ऊपर   से   अहसान।
फिर से  दावा  कर  रहे, कर  देंगे  उत्थान।

रहे  चूसते  जोंक बन, समझा  ना  इंसान।
आज उसी को कह रहे, यह मेरा भगवान।

जिनने जूतों से अधिक, दिया नहीं सम्मान।
वे  ही  चरणों में  पड़े, आज  करें गुणगान।

हँसिया खुरपा फावड़ा, कन्नी तुला कुदाल।
झाड़ू   रंदा  उस्तरा,  समझ  रहें   हैं  चाल।

रणवीर सिंह 'अनुपम'
01.05.2019
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