765. जिधर देखिए उधर मिलेंगे (मुक्तक)
जिधर देखिए उधर मिलेंगे, भारत के भीतर दो भारत।
एक भूख में तड़प रहा है, एक यहाँ किलकोरें मारत।
एक लंगोटी में घूमत है, एक देह पर मलमल धारत।
एक फतह पर फतह कर रहा, एक रहा सदियों से हारत।
रणवीर सिंह 'अनुपम'
03.05. 2019
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