Saturday, September 08, 2018

597. मारा-मारा फिर रहा (कुण्डलिया)

597. मारा-मारा फिर रहा (कुण्डलिया)

मारा-मारा फिर रहा, गलियों बीच विकास।
कहता वो ही  ले मरे, जिन पर था विश्वास।
जिन  पर  था  विश्वास, घूमते  माउंट आबू।
सुत   डीजल  -  पेट्रौल,  हुए  मेरे   बेकाबू।
इन दोनों की वजह, आज हो गया नकारा।
रो-रो  कहे  विकास, मुझे अपनों  ने  मारा।

रणवीर सिंह 'अनुपम'
08.09.2018
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