553. पीकर के हरिया मरा (कुण्डलिया)
पीकर के हरिया मरा, रतनू , राम, नरेश।
भीकम, जोधा, केसरी, रग्घू और गनेश।
रग्घू और गनेश, रामधन नहिं बच पाए।
सिगरे एकहि संग, काल के गाल समाए।
विधवाएं चिल्लाँय, करेंगे अब क्या जी कर।
मरे सजनवा हाय, विष भरी दारू पीकर।
रणवीर सिंह 'अनुपम'
23.05.2018
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