Monday, May 14, 2018

548. जब से उसको देखा मैंने (गीत)

548. जब से उसको देखा मैंने (गीत)

जब से उसको देखा मैंने,
व्याकुल है अंतर्मन मेरा।

सूखी काया मुरझाया मुख,
छाती पर चुनरी कसी हुई,
काले मटमैले केशों की,
त्रिपटिया चोटी गसी हुई,
नौनी में हो तल्लीन कहे,
देखो साहब जीवन मेरा।

हाँथों में हँसिया अरु खुरपी,
गोदी  में  दाबे है बच्चा,
लमकत जाबत पगडंडी पर,
कहिं मेड़ कहीं रस्ता कच्चा,
सिर पर भूसे की गठरी को,
कहती जाती यह धन मेरा।

लग जाती भोर से उठकर के,
संध्या तक स्वेद बहाती है,
दिन ढले झोपड़ी में आकर,
चूल्हे में मूड़ अड़ाती है,
कहती यह ही मेरी दुनिया,
इतना-सा है आँगन मेरा।

रणवीर सिंह 'अनुपम'
12.05.2018
*****

नौनी - गेहूँ की फसल की कटाई;
मूड़ अड़ाना - किसी काम में लगना

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