Thursday, May 17, 2018

549. भोग तुम, मैं भूख हूँ बस (मुक्तक)

549. भोग तुम, मैं भूख हूँ बस (मुक्तक)

भोग तुम, मैं भूख हूँ बस, सिर्फ यह ही द्वंद अपना।
भोगिये  जीवन  विलासी,  लीजिये  आनंद अपना।
किन्तु  काहे  को  तुले  हो,  जानवर  बनने 
को तुम,
यार  सीमा  में  रखो  ये, आचरण स्वच्छंद अपना।

रणवीर सिंह 'अनुपम'
17.05.2018
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549. भोग तुम, मैं भूख हूँ बस (मुक्तक)

भोग तुम मैं भूख  हूँ बस, सिर्फ ये  ही  द्वंद अपना।
तुम विलासी  जिंदगी  का, लीजिये  आनंद अपना।
किन्तु  काहे  को  तुले  हो,  जानवर  बनने 
पे  तुम,
कुछ तो सीमा में रखो ये, आचरण स्वच्छंद अपना।

रणवीर सिंह 'अनुपम'
17.05.2018
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