Wednesday, October 31, 2018

621. अम्मा घर में एक थी (कुंडलिया)

621. अम्मा घर में एक थी (कुंडलिया)

माँ और आजकल उसकी दशा के बारे में दो कुंडलिया।

अम्मा  घर  में  एक  थी, अरु   बेटे  थे  चार।
हँसी-ख़ुशी से पल गए, सबको मिला दुलार।
सबको मिला दुलार, मात हर फर्ज निभाया।
प्रथम सभी को  दिया, बाद में खुद है खाया।
चाहे   रोगी  सबल,  होय  नादान   निकम्मा।
निज  संतानों  हेतु,  लड़ी  थी  सबसे अम्मा।

अब  भी   बेटे   चार  हैं, अरु अम्मा  है  एक।
लेकिन उसकी  जान को, रहे  हमेशा  क्लेश।
रहे  हमेशा  क्लेश, रोज  मन  ही  मन  रोती।
खुद ही खाय-बनाय, और खुद  कपड़े धोती।
बेटे  फूलें - फलें,  कामना   करती   तब  भी।
पुत्र,  पुत्र  ना  रहे,  मात  है  माता  अब  भी।

रणवीर सिंह (अनुपम)
30.10.2018
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