612. बंदूकें ताने खड़े (कुंडलिया)
29 सितंबर 2018 को रात 2.00 के करीब, लखनऊ के गोमती नगर में उत्तर प्रदेश पुलिस ने विवेक तिवारी की गोली मारकर हत्या कर दी। यह सरकार और पुलिस की संवेदनहीनता का द्योतक है। जब प्रदेश का मुखिया टीवी पर खुलेआम एनकाउंटर करने की बात कहे, आरोपियों को ठोंकने की बात करे, तो पुलिस निरंकुश होकर हत्याएं ही करेगी।
यह तो अच्छा है कि पुलिस को मौक़ा नहीं मिल पाया, न तो एकाध हथियार दिखाकर उसने स्वर्गीय विवेक जी को कब का गुंडा घोषित कर दिया होता।
बंदूकें ताने खड़े, सीधी सिर पर नोंक।
सावधान होकर रहो, कबहुँ देंय ये ठोंक।
कबहुँ देंय ये ठोंक, छूट इनको सरकारी।
किससे करें गुहार, पुलिस ही जब हत्यारी।
रो - रोकर के लोग, लाश अपनों की फूँकें।
वर्दीधारी नरपिशाच ताने बंदूकें।
रणवीर सिंह 'अनुपम'
30.09.2018
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बंदूकें ताने खड़े, सीधी सिर पर नोंक।
सावधान होकर रहो, कबहुँ देंय ये ठोंक।
कबहुँ देंय ये ठोंक, छूट इनको सरकारी।
किससे करें गुहार, पुलिस हो जब हत्यारी।
इधर लोग विक्षिप्त, लाश अपनों की फूँकें।
उधर खड़ी सरकार, तानकर के बंदूकें।
रणवीर सिंह 'अनुपम'
30.09.2018
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