Monday, July 23, 2018

583. अधर गुलाबी अधखिले (कुण्डलिया)

अधर  गुलाबी अधखिले, मधुरिम बहे सुगंध।
अँखियन   से  मदिरा  बहे,  टूट  रहे  तटबंध।
टूट   रहे   तटबंध, नाक  की  नथनी आकुल।
बिंदी बेकल दिखे, कान के  झुमके  व्याकुल।
भ्रमर  चक्षु  मदहोश, बिन  पिये  हुए शराबी।
सृष्टि   हुई   बेचैन,  देखकर  अधर   गुलाबी।

रणवीर सिंह 'अनुपम'
23.07.2018
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