Sunday, July 01, 2018

576. तुम्हारे आचरण जैसा

576. तुम्हारे आचरण जैसा

तुम्हारे आचरण  जैसा, कहाँ  से  आचरण लाऊँ,
मुझे  इस  दोगलेपन  का,  तजुर्बा  है  नहीं साहब।

अगर मौकापरस्ती के, हुनर को सीख लेता मैं,
हजारो  आपके  जैसे, सलामी  दे  रहे होते।

रणवीर सिंह 'अनुपम'
01.07.2018
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