Saturday, April 23, 2016

241 भृकुटी तनी कमान सी (दोहा)

भृकुटी तनी कमान सी, अँखियाँ है तूणीर।
नजर कटीले वाण सी, रही कलेजा चीर।।

कभी बेचता चाय  तो,  सेवक, कभी  किसान।
कभी  कहे  मजदूर  हूँ, सच क्या कहो प्रधान ?

रणवीर सिंह "अनुपम"

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