कुण्डलिया
वसन बैंगनी में घिरा, गौरवर्ण ये गात।
अमिय सरस मुस्कान ये, मुख पर खिला प्रभात।
मुख पर खिला प्रभात, चक्षु दोऊ कजरारे।
अल्हड़ यौवन मस्त, हाथ से करे इशारे।
चूड़ीं, झुमका सजे, पाँव में बजे पैंजनी।
नीलकमल सी लगे, लपेटे वसन बैंगनी।
रणवीर सिंह 'अनुपम'
30.04.2017
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