Saturday, April 29, 2017

334. मीलों चल जल ला रहीं (कुण्डलिया)

कुण्डलिया

गागर  मीलों  दूर  से,  लाती  सिर  पर  धार।
पंक्तिबद्ध ये  नारियाँ,  लगें  खिली  कचनार।
लगें  खिली कचनार,  धूप  कोमल तन छेड़े।
ऊबड़ - खाबड़  राह,  लूह  के  लगें  थफेड़े।
ताल  तलैया  पेड़,  नदी  जंगल  औ  सागर।
इनको  रखो  बचाय, भरेगी  तब  ही  गागर।

रणवीर सिंह 'अनुपम'
29.04.2017
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