कुण्डलिया
गागर मीलों दूर से, लाती सिर पर धार।
पंक्तिबद्ध ये नारियाँ, लगें खिली कचनार।
लगें खिली कचनार, धूप कोमल तन छेड़े।
ऊबड़ - खाबड़ राह, लूह के लगें थफेड़े।
ताल तलैया पेड़, नदी जंगल औ सागर।
इनको रखो बचाय, भरेगी तब ही गागर।
रणवीर सिंह 'अनुपम'
29.04.2017
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