Thursday, September 15, 2016

282. दसवें गुरु गोबिंद सिंह जी

लावणी छंद:

दसवें गुरु गोबिंद सिंह जी, शत-शत करते नमन तुन्हें।
त्याग, शौर्य, बलिदान, धर्म का, पाठ पढ़ाया आप हमें।
'तेगबहादुर' पिता आपके, माता 'गुजरी' जन्म दिया।
शूरवीर, कवि, देशभक्त बन, मानव हित में कर्म किया।

जातिपाँति से ऊपर उठकर, सब को ही सम्मान दिया।
देश-धर्म की खातिर अपने, पुत्रों का बलिदान किया।
"सवा लाख से एक लड़ाऊँ", ऐसा नारा आप दिए।
"चिड़ियों से मैं बाज तड़ाऊँ" मन में दृढ़ विश्वास लिए।

वर्ष बियालिस रहे धरा पर, मानवता के काम किये।
कलगीधर, दशमेश आपको, जनता ने उपनाम दिये।
पंथ खालसा आप चलाया, दसवें गुरु प्रभु आप बने।
ऐसे महावीर योद्धा को, धरती सदियों बाद जने।

रणवीर सिंह 'अनुपम'
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