Thursday, September 01, 2016

279. चैन नहीं दिन रात हमें (मत्तगयंद सवैया)

279. मत्तगयंद सवैया
भगण (211)x 7 बार +2 दीर्घ

चैन नहीं दिन रात हमें सखि, कौन स रोग लगो इ हिया में।
नीर बिना जस मीन करै जस बाति करै बिन तेल दिया में।
कौन सि व्याधि लगी हमकूँ दिन रात समाय रही हुँ पिया में।
प्रीतम काहे कुँ प्राण हरौ मम, काहि कुँ आग लगात जिया में।

रणवीर सिंह 'अनुपम'
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