Friday, September 02, 2016

280. गोरी पर्दा को हटा (कुण्डलिया)

गोरी  पर्दा  को   हटा,  अम्बर  रही   निहार।
लालवर्ण की  कंचुकी,  लँहगा,  चुनरी  धार।
लँहगा, चुनरी  धार,   लगे  ज्यों  कोई  मूरत।
भूल  गई  संसार, जगत  की   नहीं जरूरत।
शांतचित्त, दिन मध्य,  ढूँढ रहि चाँद चकोरी।
मन  में  ले  विश्वास,  देख  रहि  मारग गोरी।

रणवीर सिंह 'अनुपम'

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