Saturday, January 04, 2020

847. साँप-छछूँदर से हुए (कुंडलिया)

847. साँप-छछूँदर से हुए (कुंडलिया)

साँप-छछूँदर से हुए, साहब  और  विधान।
निगलें तो जां जा रही, उगलें  तो  सम्मान।
उगलें  तो  सम्मान, शान  पर  लागे  बट्टा।
बादशाह पर  हँसे, हर  तरफ  सत्ता अठ्ठा।
आन-बान का भूत, चढ़ा है सिर के ऊपर।
ऐसे-कैसे  भला, छोड़  दे   साँप  छछूँदर।

रणवीर सिंह 'अनुपम'
25.12.2019
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