847. साँप-छछूँदर से हुए (कुंडलिया)
साँप-छछूँदर से हुए, साहब और विधान।
निगलें तो जां जा रही, उगलें तो सम्मान।
उगलें तो सम्मान, शान पर लागे बट्टा।
बादशाह पर हँसे, हर तरफ सत्ता अठ्ठा।
आन-बान का भूत, चढ़ा है सिर के ऊपर।
ऐसे-कैसे भला, छोड़ दे साँप छछूँदर।
रणवीर सिंह 'अनुपम'
25.12.2019
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