844. बोते खुद ही आप जब (कुंडलिया)
बोये पहले आप ही, अफवाहों के बीज।
अब जब जनता बो रही, तब क्यों गुस्सा-खीज।
तब क्यों गुस्सा-खीज, किसलिए दोषारोपण।
विषबेलों का आप, स्वयं जब कीन्हा पोषण।
नागफली फल-फूल उठी, तो अब क्यों रोये।
फूल कहाँ से मिलें, आप जब काँटे बोये।
21.12.2019
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