Saturday, January 04, 2020

844. बोते खुद ही आप जब (कुंडलिया)

844. बोते खुद ही आप जब (कुंडलिया)

बोये   पहले   आप   ही, अफवाहों   के   बीज।
अब जब जनता बो रही, तब क्यों गुस्सा-खीज।
तब  क्यों  गुस्सा-खीज, किसलिए  दोषारोपण।
विषबेलों  का  आप, स्वयं  जब  कीन्हा पोषण।
नागफली  फल-फूल उठी, तो  अब  क्यों  रोये।
फूल   कहाँ   से  मिलें, आप  जब   काँटे  बोये।

21.12.2019
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