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545. भूख-प्यास भीतर लिए (दोहे)
भूख-प्यास भीतर लिए, झोपड़ियाँ चुपचाप। मौन मुखर हो कह रहा, कुछ तो करिये आप।
दुर्बल तन आँखें धँसी, मनवा दिखे उदास। धैर्य बगावत कर रहा, टूट रहा विश्वास।
रणवीर सिंह 'अनुपम' 26.04.2018
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