Sunday, April 29, 2018

546. मिल रहा जो (मुक्तक)

जब गाँवों के भ्रमण के दौरान, मैं लोगों से मिलता, योजनाओं के बारे में उनसे उनकी बात सुनता, तो लोग अपनी नाराजगी दिखाते, भड़ास निकालने लगते है और अपनी समस्यायों दिक्कतों को बताते हैं, उनका हल न मिलने की बात करते। लोग भारत सरकार की 7 योजनाओं से अलग योजनाओं की भी बात करने लगते हैं। तब मैं उन्हें यही समझाता कि जो सुविधा मिल रही है उसका लाभ पहले ले लो। शेष योजनाओं कस लाभ भी मिलेगा।

546. मिल रहा जो (मुक्तक)

मिल रहा जो  तू उसे  स्वीकार कर।
बेबजह  की  यार मत तकरार कर।
पददलित होकर रहेगा कब तलक।
उठ, सँभल तू स्वयं  को तैयार कर।

रणवीर सिंह 'अनुपम'
29.04.2018
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Friday, April 27, 2018

545. भूख, प्यास भीतर लिए (दोहे)

545. भूख-प्यास भीतर लिए (दोहे)

भूख-प्यास  भीतर लिए, झोपड़ियाँ चुपचाप।
मौन मुखर हो कह रहा, कुछ तो करिये आप।

दुर्बल  तन आँखें  धँसी, मनवा  दिखे उदास।
धैर्य  बगावत   कर  रहा,  टूट  रहा  विश्वास।

रणवीर सिंह 'अनुपम'
26.04.2018

Thursday, April 26, 2018

544. बाबाओं से दूर रह (कुण्डलिया)

544. बाबाओं से दूर रह (कुण्डलिया)

बाबाओं   से   दूर   रह,  ओ  भोले   इंसान।
ये  साधू  के   भेष  में,  ठग,  कामी, शैतान।
ठग, कामी, शैतान, दुष्ट, लोभी, व्यभिचारी।
अरबों  की  संपत्ति, हाथ  इन  पर सरकारी।
ज्ञान  चक्षु  को  खोल, दूर  रह  दावाओं से।
पगले  बचना  सीख,  कुकर्मी  बाबाओं  से।

रणवीर सिंह 'अनुपम'
26.04.2018
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543. बाबाओं से कब भला (कुण्डलिया)

15 अगस्त 2013 को आशाराम बाबा द्वारा शाहजहांपुर की एक 16 वर्षीय किशोरी के साथ किये गए दुष्कर्म में केस चला और उस पर इस केस में दिनाँक 25.04.2018 को जोधपुर के सेशन कोर्ट ने उसे आजीवन कारावास की कठोर सजा दी और उसके दो साथियों को 20-20 वर्ष की कठोर सजा दी। इस फैसले से जनता में एक नई आशा का संचार होगा और न्यायपालिका पर लोगों का विश्वास और बढ़ेगा।

मैं पीड़िता, उसके परिवार वालों, संबंधित गवाहों और पीड़िता के वकील के धैर्य और साहस को नमन करता हूँ, जो जानलेवा धमकियों और नाना प्रकार की प्रताड़नाओं के बाबजूद इस लड़ाई से पीछे नहीं हटे। इस न्याय के लिए कई गवाहों को अपनी जान भी देनी पड़ी, मैं उनको और उनके परिवार को नमन करता हूँ। पुलिस जाँच टीम के सभी सदस्य भी प्रशंसा के पात्र हैं जिन्होंने दिखा दिया कि देश में आज भी बहुत सारे काबिल और ईमानदार अफसर मौजूद हैं।

आसाराम जो अपने आप में एक सरकार से कम नहीं था, से इतने लंबे समय तक लड़ते रहना बहुत बड़ी बात है। यह हर किसी के वश की बात नहीं है। मैं संबंधित जज की निर्भयता को भी नमन करता हूँ।

543. बाबाओं से कब भला (कुण्डलिया)

बाबाओं से  कब भला, बच  पाया संसार।
इनकी किरपा से यहाँ, चलती है  सरकार।
चलती है सरकार, मौज करते व्यभिचारी।
कामी,  भोगी,  नीच,  दुष्ट  ये  अत्याचारी।
इनके  हैं  संबंध,  मिनिस्टर  आकाओं  से।
को बच पाया भला, हिन्द  में  बाबाओं से।

रणवीर सिंह 'अनुपम'
25.04.2018
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