काहे का यौवन अरे, काहे का रँग - रूप।
माटी में इक दिन मिलें, चारण हों या भूप।
चारण हों या भूप, काल सबको है भखता।
सद्कर्मों के बिना, याद जग किसको रखता।
राजपाट, धन-धान्य, व्यर्थ पद, वैभव, गौधन।
बिना लोक कल्याण, अरे काहे का यौवन।
माटी में इक दिन मिलें, चारण हों या भूप।
चारण हों या भूप, काल सबको है भखता।
सद्कर्मों के बिना, याद जग किसको रखता।
राजपाट, धन-धान्य, व्यर्थ पद, वैभव, गौधन।
बिना लोक कल्याण, अरे काहे का यौवन।
रणवीर सिंह 'अनुपम'
30.12.2016
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30.12.2016
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