Friday, December 30, 2016

313. काहे का यौवन अरे (कुण्डलिया)

काहे  का  यौवन  अरे,  काहे  का   रँग - रूप।
माटी  में  इक दिन  मिलें, चारण हों  या  भूप।
चारण हों  या भूप,  काल  सबको  है भखता।
सद्कर्मों के बिना, याद जग  किसको रखता।
राजपाट, धन-धान्य,  व्यर्थ पद, वैभव, गौधन।
बिना  लोक  कल्याण, अरे  काहे  का  यौवन।

रणवीर सिंह 'अनुपम'
30.12.2016
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