Sunday, October 02, 2016

284. कान खोलकर सुने पड़ोसी (मुक्तक)

कान खोलकर सुने पड़ोसी, सुन  लें सारे आतंकी।
बहुत हो गया नहीं चलेगी, छदम युद्ध की  नौटंकी।
शठ से कैसे निपटा जाता यह भी  नीत हमें आती।
हम वो हैं नरसिंह फाड़कर रख देते रिपु की छाती।

रणवीर सिंह 'अनुपम'
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