रोशनी के पर्व पर, प्रभु से यही है कामना।
प्रेम, करुणा, त्याग से, परिपूर्ण हो हर भावना।
दूर नफरत हो दिलों से, हर किसी का ख्याल हो।
शांति हो चहुँदिश धरा पर, यह जगत खुशहाल हो।।
रणवीर सिंह "अनुपम"
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रोशनी के पर्व पर, प्रभु से यही है कामना।
प्रेम, करुणा, त्याग से, परिपूर्ण हो हर भावना।
दूर नफरत हो दिलों से, हर किसी का ख्याल हो।
शांति हो चहुँदिश धरा पर, यह जगत खुशहाल हो।।
रणवीर सिंह "अनुपम"
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आज समझ में आया होगा, इन आतंकवादियों को।
हिंद कुचलना भी जाने है, कायर उग्रवादियों को।
भूल दुबारा जो की इनने, करनी वरण मृत्य होगी।
आँख उठाकर फिर से देखा, जो इन शांत वादियों को।
रणवीर सिंह 'अनुपम'
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कान खोलकर सुने पड़ोसी, सुन लें सारे आतंकी।
बहुत हो गया नहीं चलेगी, छदम युद्ध की नौटंकी।
शठ से कैसे निपटा जाता यह भी नीत हमें आती।
हम वो हैं नरसिंह फाड़कर रख देते रिपु की छाती।
रणवीर सिंह 'अनुपम'
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