Friday, June 26, 2015

100 जैसे ताजा श्वेत कमल हो

जैसे  ताजा श्वेत कमल हो।
प्रेमगीत या एक ग़ज़ल हो ।।
 
धवल दूधिया सा तन चमके,
जैसे कोई ताजमहल हो ।।
 
सारी सृष्टि लगे है मिथ्या,
तुम्ही असल हो, तुम्ही असल हो।।
 
तेरे सम्मुख सब निर्बल हैं,
तुम बलशाली, तुम्हीं सबल हो।।
 
जीवन एक मरुस्थल तपता,
बदली जैसी तुम शीतल हो।।
 
इक पल लगती अमृत जैसी,
दूजे पल में लगे गरल हो।।
 
बहुत समझना चाहा 'अनुपम',
लेकिन इतनी कहाँ सरल हो?
 
रणवीर सिंह (अनुपम)
*****
गरल - जहर